नकाबी चेहरों का बोलबाला है आज अंधियारे का पता नहीं | हिंदी विचार
"नकाबी चेहरों का बोलबाला है आज
अंधियारे का पता नहीं उजाले का डर है आज
काला जगत को श्वेत दिखे,
श्वेत दिखे ना पाक
शशि गगन में क्षणिक रहे,
रवि रहे दिनमान
फिर भी लत अंधकार की
बेईमानी का पता नहीं ईमान का डर है आज"
नकाबी चेहरों का बोलबाला है आज
अंधियारे का पता नहीं उजाले का डर है आज
काला जगत को श्वेत दिखे,
श्वेत दिखे ना पाक
शशि गगन में क्षणिक रहे,
रवि रहे दिनमान
फिर भी लत अंधकार की
बेईमानी का पता नहीं ईमान का डर है आज