White १.
रंगत उड़ी सी दिखती है, तुम्हारे चेहरे की,
किसी नए जख्म की, नुमाइश हो रही है अब।
२.
फुरसत निकाल कर, थोड़ा वक्त आइने को भी दो,
में तो फिर भी दूर हूं, तुम्हारे कमरे में रहता है वो।
३.
क्यों खुद को संवारा नहीं, तुमने बहुत दिनों से,
क्या, मुद्दत हो गई, तुम्हें ढंग से निहारे हुए।
४.
शिकन की आमद, लगातार चल रही है तेरे माथे पर,
उन्हें धोखा देकर, सुकूं को दो पल मेरे संग गुजार लो।
©बोल_बेतौल by Atull Pandey
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