वो इंसा नहीं फरीस्ता था। जीवन से एक अलग उनकी रिस् | हिंदी शायरी

"वो इंसा नहीं फरीस्ता था। जीवन से एक अलग उनकी रिस्ता था। जीवन लगा दी उसने पूरी इंसानियत के लिए, कुछ ऐसा ही जीवन से उनका रिस्ता था"

 वो इंसा नहीं फरीस्ता था। 
जीवन से एक अलग उनकी
रिस्ता था।
जीवन लगा दी उसने पूरी
इंसानियत के लिए,
कुछ ऐसा ही जीवन से 
उनका रिस्ता था

वो इंसा नहीं फरीस्ता था। जीवन से एक अलग उनकी रिस्ता था। जीवन लगा दी उसने पूरी इंसानियत के लिए, कुछ ऐसा ही जीवन से उनका रिस्ता था

#Desh_ke_liye @Samarth Singh pooja negi# Neeraj Bakle (neer✍🏻) @Sachin Sawle

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