कभी-कभी | हिंदी Shayari

"कभी-कभी कभी-कभी शाम तो हो जाती हैं, ,मगर दिन डलना बाकी रेह जाता हैं, ठीक उसी तरह प्यार तो ही जाता है, उसे अपनाना रेह जाता हैं..!! ©shalini singh"

 कभी-कभी 













कभी-कभी
शाम तो हो जाती हैं, ,मगर दिन डलना बाकी रेह जाता हैं,
ठीक उसी तरह प्यार तो ही जाता है, उसे अपनाना रेह जाता हैं..!!

©shalini singh

कभी-कभी कभी-कभी शाम तो हो जाती हैं, ,मगर दिन डलना बाकी रेह जाता हैं, ठीक उसी तरह प्यार तो ही जाता है, उसे अपनाना रेह जाता हैं..!! ©shalini singh

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