जलती चिताओं पर सेंक रहे रोटियां ये, देखिए सियासी ल | हिंदी कविता

"जलती चिताओं पर सेंक रहे रोटियां ये, देखिए सियासी लोग कैसे क्रूर हो गये । कितनी ही राखियो से हाथ दुर हो गये तो, कितनी ही बुढ़ी अंखियों के नूर खो गये । धुमधाम से करेंगे बिटिया बिदाई तेरी, ख्वाब माता पिता के वो चूर चूर हो गये । जिसके लिये वो परिवार से रहे थे दुर, उन्ही रोजियों से दुर मजदूर हो गये । ©kavi Chetan"

 जलती चिताओं पर सेंक रहे रोटियां ये,
देखिए सियासी लोग कैसे क्रूर हो गये ।
कितनी ही राखियो से हाथ दुर हो गये तो,
कितनी ही बुढ़ी अंखियों के नूर खो गये ।
धुमधाम से करेंगे बिटिया बिदाई तेरी,
ख्वाब माता पिता के वो चूर चूर हो गये ।
जिसके लिये वो परिवार से रहे थे दुर,
उन्ही रोजियों से दुर मजदूर हो गये ।

©kavi Chetan

जलती चिताओं पर सेंक रहे रोटियां ये, देखिए सियासी लोग कैसे क्रूर हो गये । कितनी ही राखियो से हाथ दुर हो गये तो, कितनी ही बुढ़ी अंखियों के नूर खो गये । धुमधाम से करेंगे बिटिया बिदाई तेरी, ख्वाब माता पिता के वो चूर चूर हो गये । जिसके लिये वो परिवार से रहे थे दुर, उन्ही रोजियों से दुर मजदूर हो गये । ©kavi Chetan

बेबसी........

#Labourday

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