दिल टुकड़ों में टूट रहा, ख्वाबों के परिंदे जकड़ से | हिंदी कविता

"दिल टुकड़ों में टूट रहा, ख्वाबों के परिंदे जकड़ से रहें, ख्वाहिशें अंदर कहीं दब से गए, और मुस्कुराहट कही गुम सी गई, क्या कहूं, किससे कहूं, कोई नहीं अब मेरा, ना जानें क्या किया था मैने की मुझे जिंदगी सज़ा सी मिल रही। ©shweta singh"

 दिल टुकड़ों में टूट रहा,
ख्वाबों के परिंदे जकड़ से रहें,
ख्वाहिशें अंदर कहीं दब से गए,
और मुस्कुराहट कही गुम सी गई,
क्या कहूं, किससे कहूं, कोई नहीं अब मेरा,
ना जानें क्या किया था मैने की मुझे  जिंदगी सज़ा सी मिल रही।

©shweta singh

दिल टुकड़ों में टूट रहा, ख्वाबों के परिंदे जकड़ से रहें, ख्वाहिशें अंदर कहीं दब से गए, और मुस्कुराहट कही गुम सी गई, क्या कहूं, किससे कहूं, कोई नहीं अब मेरा, ना जानें क्या किया था मैने की मुझे जिंदगी सज़ा सी मिल रही। ©shweta singh

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