" कभी इन आंखों में भी ख़्वाब हुआ करते थे
आज जिसे कफ़न से ढक दिए गए है
कभी इन होठों से कृतज्ञता बयां करने को
बहुत कुछ सुनने के बाद भी सिले रहे
ताकि एक दिन अपने माता पिता का गुणगान कर सकें
आज वो होठ सदा के लिए ख़ामोश कर दिए गए
जिस लडकी ने बेखौफ जीने के लिए त्याग दिए थे
अपने बचपन को, अपने लड़कपन्न को
उसे मिली इतनी खौफनाक मौत की दुनियां कांप गई
जिसने त्यागना चाहा था कभी चूल्हें की अग्नि को
जिसने एक मुकाम हासिल कर अस्तित्व बनाना चाहा था
हर किसी के सेवा में समर्पित हो जाना चाहा था
वो मरते मरते किस पीड़ा की अग्नि में जली होंगी
©Pooja Priya
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