पहचान शख्स की नहीं शख्सियत की होती है पहचान कद की | हिंदी विचार

"पहचान शख्स की नहीं शख्सियत की होती है पहचान कद की नहीं काबिलियत की होती है पहचान रूप,रंग की नहीं इंसानियत की होती है पहचान पैसे और बंगले की नहीं बल्कि सादगी और सहूलियत की होती है पहचान विरासत में मिली जागीर नहीं बल्कि खुद के हुनर से कमाई गई व्यावहारिक और सामाजिक संपत्ति होती है !!!! ©Anushka Tripathi"

 पहचान शख्स की नहीं
शख्सियत की होती है
पहचान कद की नहीं 
काबिलियत की होती है
पहचान रूप,रंग की नहीं
इंसानियत की होती है
पहचान पैसे और बंगले की नहीं
बल्कि सादगी और सहूलियत
की होती है
पहचान विरासत में मिली जागीर नहीं
बल्कि खुद के हुनर से कमाई गई
व्यावहारिक और सामाजिक
 संपत्ति होती है !!!!

©Anushka Tripathi

पहचान शख्स की नहीं शख्सियत की होती है पहचान कद की नहीं काबिलियत की होती है पहचान रूप,रंग की नहीं इंसानियत की होती है पहचान पैसे और बंगले की नहीं बल्कि सादगी और सहूलियत की होती है पहचान विरासत में मिली जागीर नहीं बल्कि खुद के हुनर से कमाई गई व्यावहारिक और सामाजिक संपत्ति होती है !!!! ©Anushka Tripathi

#pahchan

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