आज सूरज ढलने से पहले ही
अंधेरा गहरा छाया है ,
आज पहली दफा आंख में
आंसू कोई आया है।
क्या ख़ाक काम का ये जमाना
ख़ाक के माफिक काम इसके,
क्योंकि मेरा बिखरा टूटकर तिनका तिनका
और आज तक कोई समेट न पाया है
आज सूरज ढलने से पहले ही
अंधेरा गहरा छाया है ,
आज पहली दफा आंख में
आंसू कोई आया है।
दुःख मे रोना हंसना खुशी में
बस यही दो आदतें थी अब तक ,
आज कितने दिनों के बाद शालिनी
दुःख में भी हंसना आया है
आज सूरज ढलने से पहले ही
अंधेरा गहरा छाया है ,
आज पहली दफा आंख में
आंसू कोई आया है।
-shalini sehgal
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