ओ जैसी भी है बहुत अच्छी है ।।
जैसे भी है सिर्फ मेरे है ।।
मुझे कभी कभी इतना याद आते हैं कि इतना तडपाते है कि मुझे बुरा बुरा ख्याल आने लगता है ।।।
जैसे मुझे छोड़ कर जा रही है ,जा चुके हैं etc.
और लत तो उनकी इतना लग चुकी है कि चाहुं फिर भी छोड़ ना पाऊं ।।।
एक कदम दुरी भी मुझे पसंद नहीं उनके, फिर भी ओ मुझसे बहुत दूर है ।।
मैं किस तरह जिंदगी को संभाल कर जिता हुं ओ मुझे पता है ।।।
ना किसी को बता पाता हूं ना ही उनको किसी तरह के भी tension देना मुझे पसंद है ।।।।
©Nitish kumar singh
write Nitish Kumar singh