आज बहुत उलझा हुआ सा है मन मेरा, हर पल,हर प्रहर बस | हिंदी कविता Video

"आज बहुत उलझा हुआ सा है मन मेरा, हर पल,हर प्रहर बस ख्याल एक तेरा। ना जाने क्यों मेरा कुछ भी कहना तुमको अखरता है, मेरे हंसने खिलखिलाने से तुम्हारा मन बिखरता है। हजारों बंदिशें तुमने लगायी जान मुझ पे है, उन बंधनों में छटपटाया सा है मन मेरा। ना जाने कितने शब्दों के अनर्गल तीर हैं छोड़े, बारहा छलनी लिया है रूह को मेरी, मुझे बस तनिक सा प्यार और विश्वास दे दो ना, इसी विश्वास की आस में तरसा हुआ सा है मन मेरा। मैं जैसी हूं, मुझे वैसी ही क्यों नहीं तुम चाहते, मेरी कमियों को भी क्यूं दिल से नहीं अपना सकते, कभी आंसू मेरे अपने मन में भी बिखरने दो ना, इसी सुकून की चाहत में भटका हुआ सा है मन मेरा। हर पल हर प्रहर बस एक ख्याल है तेरा। ©शफ़क रश्मि "

आज बहुत उलझा हुआ सा है मन मेरा, हर पल,हर प्रहर बस ख्याल एक तेरा। ना जाने क्यों मेरा कुछ भी कहना तुमको अखरता है, मेरे हंसने खिलखिलाने से तुम्हारा मन बिखरता है। हजारों बंदिशें तुमने लगायी जान मुझ पे है, उन बंधनों में छटपटाया सा है मन मेरा। ना जाने कितने शब्दों के अनर्गल तीर हैं छोड़े, बारहा छलनी लिया है रूह को मेरी, मुझे बस तनिक सा प्यार और विश्वास दे दो ना, इसी विश्वास की आस में तरसा हुआ सा है मन मेरा। मैं जैसी हूं, मुझे वैसी ही क्यों नहीं तुम चाहते, मेरी कमियों को भी क्यूं दिल से नहीं अपना सकते, कभी आंसू मेरे अपने मन में भी बिखरने दो ना, इसी सुकून की चाहत में भटका हुआ सा है मन मेरा। हर पल हर प्रहर बस एक ख्याल है तेरा। ©शफ़क रश्मि

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