मैं बोला- तू जा कैसे सकती है ! बिल मैंने भरा तो | हिंदी शायरी

"मैं बोला- तू जा कैसे सकती है ! बिल मैंने भरा तो दो घड़ी की मुलाकात में उम्र भर के सितम दे गए hain"

 मैं बोला-  तू जा कैसे सकती है ! बिल मैंने भरा तो  दो घड़ी की मुलाकात में उम्र भर के सितम दे गए hain

मैं बोला- तू जा कैसे सकती है ! बिल मैंने भरा तो दो घड़ी की मुलाकात में उम्र भर के सितम दे गए hain

Tere bina jeena saza Ho gya. ishq tere da nasha Ho gya hai sanu

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