पलकों का झुकना, आँखो का टकराना, हल्की मुस्कान , और | हिंदी कविता

"पलकों का झुकना, आँखो का टकराना, हल्की मुस्कान , और ! जरा झिझक से शुरू हुई थी, मुलाक़ात-ऐ-मोहब्बत हमारी , आप से तुम होने की राह पर थे हम दोनों ।"

 पलकों का झुकना,
आँखो का टकराना,
हल्की मुस्कान ,
और !
जरा झिझक से शुरू हुई थी,
मुलाक़ात-ऐ-मोहब्बत हमारी ,


आप से तुम होने की राह पर थे हम दोनों ।

पलकों का झुकना, आँखो का टकराना, हल्की मुस्कान , और ! जरा झिझक से शुरू हुई थी, मुलाक़ात-ऐ-मोहब्बत हमारी , आप से तुम होने की राह पर थे हम दोनों ।

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