दोस्तों के साथ पल जो बिताने लगे हवा में तीर रखकर | हिंदी कविता

"दोस्तों के साथ पल जो बिताने लगे हवा में तीर रखकर उडाने लगे चार दिवारी कैद की किसे अच्छी लगती है सारे कमीने थे गाने आजादी के गाने लगे! तेरी यारी पर कुरबान बैठे हैं जहाँ पानी की जरूरत थी वहां आग लगा बैठे हैं! बेशक़ अच्छाई में नाम उतना नहीं हम बुरे है इसलिए बुराई से ही दिल लगा बैठे हैं! गाली देकर कमाई करने लगे गाली सुनकर अच्छाई करने लगे एक और बात जो छिपा रखी थी हम फिर उसी तरह बात करने लगे ©Ayush Dhiman"

 दोस्तों के साथ पल जो बिताने लगे 
हवा में तीर रखकर उडाने लगे 
चार दिवारी कैद की किसे अच्छी लगती है 
सारे कमीने थे 
गाने आजादी के गाने लगे!
तेरी यारी पर कुरबान बैठे हैं 
जहाँ पानी की जरूरत थी 
वहां आग लगा बैठे हैं!
बेशक़ अच्छाई में नाम उतना नहीं 
हम बुरे है इसलिए 
बुराई से ही दिल लगा बैठे हैं!
गाली देकर कमाई करने लगे 
गाली सुनकर अच्छाई करने लगे 
एक और बात जो छिपा रखी थी 
हम फिर उसी तरह बात करने लगे

©Ayush Dhiman

दोस्तों के साथ पल जो बिताने लगे हवा में तीर रखकर उडाने लगे चार दिवारी कैद की किसे अच्छी लगती है सारे कमीने थे गाने आजादी के गाने लगे! तेरी यारी पर कुरबान बैठे हैं जहाँ पानी की जरूरत थी वहां आग लगा बैठे हैं! बेशक़ अच्छाई में नाम उतना नहीं हम बुरे है इसलिए बुराई से ही दिल लगा बैठे हैं! गाली देकर कमाई करने लगे गाली सुनकर अच्छाई करने लगे एक और बात जो छिपा रखी थी हम फिर उसी तरह बात करने लगे ©Ayush Dhiman

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