मैं सोचती रह गई
जिंदगी आगे निकल गई।।
मैं समझाती रही,
कभी ख़ुद को कभी अपनो को,
दुनिया बदलती चली गई।।
मुझे पता h वक्त बुरा h,
जिनसे उम्मीद थी वो भी साथ ना रहे,
गोरतलब है, मैं अकेली ही चलती चली गई।।
पूछा मैने खुद से,
कैसे आई यहां तक,
और जवाब में बस हसती चली गई।।
मेरे किस्से मैने जो बाटने चाहे,
अंत में मेरे ही रहे,
मैं तो यूही कागज पर घिसती चली गई।।
कोई पूछे तो बताना, वो एक लडकी थी,
टुकड़ों में बटती चली गई।।।
।।वर्षा।।
©Varsha
#life of a #girl
#Luminance