किसान कभी सोचा है कि पूरी दुनिया के लिए अन्न उगाने | हिंदी विचार

"किसान कभी सोचा है कि पूरी दुनिया के लिए अन्न उगाने वाले किसान को, कभी -कभी दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं होती।"

 किसान कभी सोचा है कि पूरी दुनिया के लिए
अन्न उगाने वाले किसान को,
कभी -कभी दो वक्त की रोटी
भी नसीब नहीं होती।

किसान कभी सोचा है कि पूरी दुनिया के लिए अन्न उगाने वाले किसान को, कभी -कभी दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं होती।

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