White  जिंदगी का फलसफा समझो शह-मात, जात - पात, दोस | हिंदी Poetry

"White  जिंदगी का फलसफा समझो शह-मात, जात - पात, दोस्त - दुश्मन मे  ना तलाशो मुझे मै अभी इनसे दूर  किसी रात के गोधूलि कवर मे हू जग का छल , मोह का जमघाट, कितने ही प्रपंचो से दूर निकल कर  मै अपने प्रेम तक पहुँचने के शहर मे हू ऐ खुदा मै फ़कीर , ना किसी उम्मीद, ना ठौर मे हू तेरे धुंध से भरे एक लम्बे रहगुजर मे हू यकीनन मै जिंदगी से भिन्न, मृत्यु से परे  एक अलौकिक नगर मे हू अब ना किसी से दिल्लगी ना नाराजगी है अपनी चेतना से दूर मै आवारगी के हद मे हू सुनो! मैंने फ़िर से कहाँ मै शून्य से अनंत के पकर मे हू यकीनन मै कितने ही सफ़र मे हू ©चाँदनी "

White  जिंदगी का फलसफा समझो शह-मात, जात - पात, दोस्त - दुश्मन मे  ना तलाशो मुझे मै अभी इनसे दूर  किसी रात के गोधूलि कवर मे हू जग का छल , मोह का जमघाट, कितने ही प्रपंचो से दूर निकल कर  मै अपने प्रेम तक पहुँचने के शहर मे हू ऐ खुदा मै फ़कीर , ना किसी उम्मीद, ना ठौर मे हू तेरे धुंध से भरे एक लम्बे रहगुजर मे हू यकीनन मै जिंदगी से भिन्न, मृत्यु से परे  एक अलौकिक नगर मे हू अब ना किसी से दिल्लगी ना नाराजगी है अपनी चेतना से दूर मै आवारगी के हद मे हू सुनो! मैंने फ़िर से कहाँ मै शून्य से अनंत के पकर मे हू यकीनन मै कितने ही सफ़र मे हू ©चाँदनी

# सफ़र

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