हां हां मैं एक औरत हूं, पर इस संसार की रचयिता हूं | हिंदी शायरी

"हां हां मैं एक औरत हूं, पर इस संसार की रचयिता हूं. मुझ बिन इस संसार की कल्पना कैसे कर सकते हो, मेरे बिन जीवन कैसे बीता सकते हो. यह जीवन बहुत बड़ा है गालिब, और मैं तुम्हारा साथ बन जीवन बन जाउंगी, कहां मैं एक औरत हूं, हां मैं इस संसार का एक हिस्सा नहीं, जरूरी भाग हूं.."

 हां हां मैं एक औरत हूं,
 पर इस संसार की रचयिता हूं.
मुझ बिन इस संसार की कल्पना कैसे कर सकते हो,
 मेरे बिन जीवन कैसे बीता सकते हो.
 यह जीवन बहुत बड़ा है गालिब,
और मैं तुम्हारा साथ बन जीवन बन जाउंगी,
 कहां मैं एक औरत हूं,
हां मैं इस संसार का एक हिस्सा नहीं, जरूरी भाग हूं..

हां हां मैं एक औरत हूं, पर इस संसार की रचयिता हूं. मुझ बिन इस संसार की कल्पना कैसे कर सकते हो, मेरे बिन जीवन कैसे बीता सकते हो. यह जीवन बहुत बड़ा है गालिब, और मैं तुम्हारा साथ बन जीवन बन जाउंगी, कहां मैं एक औरत हूं, हां मैं इस संसार का एक हिस्सा नहीं, जरूरी भाग हूं..

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