जब बात हमारी कड़वी लग जाए। जब गुस्सा मुझ पर चढ़ जा

"जब बात हमारी कड़वी लग जाए। जब गुस्सा मुझ पर चढ़ जाए। जब सहनशक्ति क्षीण तेरी हो जाए। तब गुस्सा अपना संकेतित कर देना। कुछ याद मेरे अपने करतूतों को कर लेना। जब इंद्रियाँ मुझ पर अविश्वास करें। जब दिल की धड़कन मुझ पर वार करे। जब जिह्वा तेरी मुझसे इनकार करे। तब मुझको तुम अत्यंतशीघ्र ठुकरा देना। कुछ याद मेरे अपने करतूतों को कर लेना। जब वचन मधुर मेरी यादों में आएं। जब याद तुम्हे पुरानी बातें आएं। जब जागृत इच्छा बातें करनी की हो जाए। तब आशा से तुम मुझको बुलवा लेना। कुछ याद मेरे अपने करतूतों को कर लेना। ©Vishu Shukla"

 जब बात हमारी कड़वी लग जाए।
जब गुस्सा मुझ पर चढ़ जाए।
जब सहनशक्ति क्षीण तेरी हो जाए।
तब गुस्सा अपना संकेतित कर देना।
कुछ याद मेरे अपने करतूतों को कर लेना।

जब इंद्रियाँ मुझ पर अविश्वास करें।
जब दिल की धड़कन मुझ पर वार करे।
जब जिह्वा तेरी मुझसे इनकार करे।
तब मुझको तुम अत्यंतशीघ्र ठुकरा देना।
कुछ याद मेरे अपने करतूतों को कर लेना।

जब वचन मधुर मेरी यादों में आएं।
जब याद तुम्हे पुरानी बातें आएं।
जब जागृत इच्छा बातें करनी की हो जाए।
तब आशा से तुम मुझको बुलवा लेना।
कुछ याद मेरे अपने करतूतों को कर लेना।

©Vishu Shukla

जब बात हमारी कड़वी लग जाए। जब गुस्सा मुझ पर चढ़ जाए। जब सहनशक्ति क्षीण तेरी हो जाए। तब गुस्सा अपना संकेतित कर देना। कुछ याद मेरे अपने करतूतों को कर लेना। जब इंद्रियाँ मुझ पर अविश्वास करें। जब दिल की धड़कन मुझ पर वार करे। जब जिह्वा तेरी मुझसे इनकार करे। तब मुझको तुम अत्यंतशीघ्र ठुकरा देना। कुछ याद मेरे अपने करतूतों को कर लेना। जब वचन मधुर मेरी यादों में आएं। जब याद तुम्हे पुरानी बातें आएं। जब जागृत इच्छा बातें करनी की हो जाए। तब आशा से तुम मुझको बुलवा लेना। कुछ याद मेरे अपने करतूतों को कर लेना। ©Vishu Shukla

जब बात हमारी कड़वी लग जाए।
जब गुस्सा मुझ पर चढ़ जाए।
जब सहनशक्ति क्षीण तेरी हो जाए।
तब गुस्सा अपना संकेतित कर देना।
कुछ याद मेरे अपने करतूतों को कर लेना।

जब इंद्रियाँ मुझ पर अविश्वास करें।
जब दिल की धड़कन मुझ पर वार करे।

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