White अक्सर हीं तुझसे बनें रिश्ते के ऐहसासों में खो सा जाता हूँ...
कभी गुलाब-जामुन सी मीठास झलकती है तुझमें,
तो कभी तीख़ी मिर्च सी नज़र आती है तू ।
कभी नरमाहट होती है शुद्ध देशी पनीर सी तुझमें,
तो कभी तिलमिलाने वाली गरम व्यंजन सी नज़र आती है तू ।
कभी गोलगप्पे सा खट्टापन नज़र आता है तुझमें,
तो कभी green tea की करवाहट सी नज़र आती है तू ।
अलग हीं मज़ा है सबका फ़िर भी...
मुझे तो इकट्ठे सारे taste नज़र आते हैं तुझमें,
शायद इसीलिए मेरे नादान-ए-नटखट दिल को भाती है तू ।।
©अपनी कलम से
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