bench मां शब्द कहने को तो बहुत छोटा सा शब्द है
पर इस शब्द के पीछे बहुत कुछ छुपा रहता है
(ना मां)
मां की रातों की नींद दिन का सुकून
और न जाने कितनी sacrifice जो अपने बच्चों के लिए करती है (मां)
मां भी कैसी होती है गुस्सा तो करती है
अपने बच्चों से मगर जब गले लगा कर
बच्चा मां शब्द बोल देता है
तो पल भर में सब कुछ भूल जाती हैं
क्यों ऐसी होती है एक मां
जब कभी बच्चों को कुछ हो जाता तो
कितनी मन्नतें मांगने लग जाती है
चाहे उसके शरीर में ताकत ना भी हो
पर अपने बच्चों के खातीर पूरा कर जाती है
बस ऐसी ही होती है (मां)
फिक्र भी करती है पर जिक्र नहीं करती
चाहे बच्चे उनका हाल ना भी पूछे
फिर भी हमेशा फिक्र ही करती है
क्यों होती है ऐसी (मां)
हर मां की आंखों के तारे होते हैं उनके बच्चे
अपने बच्चों में ही हर गम और
हर खुशी ढूंढ लिया करती है
बस ऐसी होती है (मां)
जब बुजुर्गी में मां के दिन ढलने लग जाते
हम खुदगर्ज होकर अपना चेहरा छुपाते
बस खामोशी में रहकर सब कुछ देखने लग जाते
पर उनकी बातों को हम कभी समझ ना पाए
©Roshni keshari
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