जिन्दगी को देखा...!!
कल एक झलक जिन्दगी को देखा,
वो राहों पे गुनगुना रही थी...!!
फिर ढूंढा इसे इधर उधर, वो आंख मिचौली कर मुस्कुरा रही थी...!!
एक अरसे के बाद आया मुझे करार, वो सहला के मुझे सुला रही थी...!!
हम दोनों क्यूं खफा है एक दूसरे से,
मैं उसे और वो मुझे समझा रही थी...!!
मैंने पूछा लिया - क्यूं इतना दर्द दिया कमबख्त तुमने,
वो हसी और बोली - मैं जिन्दगी हूं पागल,
तुझे जीना सीखा रही थी...!!
©Adwait Vats
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