कितना भी गहरा
ज़ख्म,खाया हो
मैं,मग़र
मुस्कराहटों में
गुलज़ार मिलूँगी
ज़मानें की चमक चुभती हैं
मुझ को
मैं इस ऐब ओ खरोश की दुनिया से
दरकिनार मिलूँगी
मुझ को ढूंढते हुए
मेरी तरफ चले आना
मैं तुम्हारे इंतज़ार में ग़ुम
हर बार मिलूँगी
मैं एक वाहिद,खुद्दार शक़्स हु
बेबाक़
ये नामुमकिन हैं
के मैं,तुम को कभी
सर ए बाज़ार
मिलूँगी....
©ashita pandey बेबाक़
#love_shayari happy life quotes shayari on life