White जाने कितना कष्ट उठा हम जिए। रहलत को थोङी दू | हिंदी शायरी

"White जाने कितना कष्ट उठा हम जिए। रहलत को थोङी दूर बैठा हम जिए।। टूटी बार बार उम्मीद की लङी। हर बार सॉत्वना का देदे गॉठा हम जिए।। बार बार नासाज किया जिन्दगी ने मुझे। हर बिघ्न को दिल से उठा हम जिए।। ऐसे ही कयी दौर बीतते रहे जिन्दगी के। वक्ती तुफॉ समझ मीठा हम जिए।। क्या हुआ कि क्या करे समझ ना आया कुछा ईश्वर को हर दिन प्रार्थना पठा हम जिए।। ©रघुराम"

 White जाने कितना कष्ट उठा हम जिए।
रहलत को  थोङी दूर बैठा हम जिए।।
टूटी बार बार उम्मीद की लङी।
हर बार सॉत्वना का देदे गॉठा हम जिए।।
बार बार नासाज किया जिन्दगी ने मुझे।
हर बिघ्न को दिल से उठा हम जिए।।
ऐसे ही कयी दौर बीतते रहे जिन्दगी के।
वक्ती तुफॉ समझ मीठा हम जिए।।
क्या हुआ कि क्या करे समझ ना आया कुछा
ईश्वर को हर दिन प्रार्थना पठा हम जिए।।

©रघुराम

White जाने कितना कष्ट उठा हम जिए। रहलत को थोङी दूर बैठा हम जिए।। टूटी बार बार उम्मीद की लङी। हर बार सॉत्वना का देदे गॉठा हम जिए।। बार बार नासाज किया जिन्दगी ने मुझे। हर बिघ्न को दिल से उठा हम जिए।। ऐसे ही कयी दौर बीतते रहे जिन्दगी के। वक्ती तुफॉ समझ मीठा हम जिए।। क्या हुआ कि क्या करे समझ ना आया कुछा ईश्वर को हर दिन प्रार्थना पठा हम जिए।। ©रघुराम

#good_night गजल

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