बड़े दिन बाद निकले कुछ श्यान आँसू
ठहर कर रह जाते
आँखों की झाईं में
तपते तन पर से माँ
ठंडे पानी की पट्टियाँ बदलती
आँसू पोंछ लेती कलाई में
मौन रहती देर तक वह
कुछ नही कहती
फिर सख़्त चेहरा झुकी गर्दन
देखती और चीख कर कहती
आग लग जाये तुम्हारी इस कमाई में
-यथार्थ
#हिंदी #कविता
हाल ही में मनाये गए मज़दूर दिवस ( १मई ) के सन्दर्भ में लिखी मेरी एक कविता प्रस्तुत है ।