"कौन समझे ये कैसी रात है शायद कोई राज़ की बात है मोहब्बत के लबोँ पर फिर वही तकरार बैठी है;
एक प्यारी सी मीठी सी कोई झनकार बैठी है;
तुझसे दूर रहकर के हमारा हाल है ऐसा;
मैँ तेरे बिन यहाँ तू मेरे बिन वहाँ बेकार बैठी है।
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बेहपना मोहबतें -"
कौन समझे ये कैसी रात है शायद कोई राज़ की बात है मोहब्बत के लबोँ पर फिर वही तकरार बैठी है;
एक प्यारी सी मीठी सी कोई झनकार बैठी है;
तुझसे दूर रहकर के हमारा हाल है ऐसा;
मैँ तेरे बिन यहाँ तू मेरे बिन वहाँ बेकार बैठी है।
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बेहपना मोहबतें -