रिश्ते कभी भी सबसे जीतकर नहीं निभाए जा सकते. रिश्तों की खुशहाली के लिए झुकना होता है, सहना होता है, दूसरों को जिताना होता है और स्वयं हारना होता है. सच्चे रिश्ते ही वास्तविक पूँजी है।
रिश्ते कभी भी सबसे जीतकर नहीं निभाए जा सकते. रिश्तों की खुशहाली के लिए झुकना होता है, सहना होता है, दूसरों को जिताना होता है और स्वयं हारना होता है. सच्चे रिश्ते ही वास्तविक पूँजी है।