अब ना चलता हुआ वक्त मुझसे,ठहर रहा मेरे टूटते हुए ख | हिंदी शायरी

"अब ना चलता हुआ वक्त मुझसे,ठहर रहा मेरे टूटते हुए ख्वाबो का मुझमें,कहर रहा हो चुका हुं अब दूर कुछ इस तरह से,, ना मेरा गांव रहा,ना मेरा शहर रहा... ©Gajendra Prasad Saini"

 अब ना चलता हुआ वक्त मुझसे,ठहर रहा
मेरे टूटते हुए ख्वाबो का मुझमें,कहर रहा
हो चुका हुं अब दूर कुछ इस तरह से,,
ना मेरा गांव रहा,ना मेरा शहर रहा...

©Gajendra Prasad Saini

अब ना चलता हुआ वक्त मुझसे,ठहर रहा मेरे टूटते हुए ख्वाबो का मुझमें,कहर रहा हो चुका हुं अब दूर कुछ इस तरह से,, ना मेरा गांव रहा,ना मेरा शहर रहा... ©Gajendra Prasad Saini

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