दौड़ रहे है लोग कल बनाने में
बीत गया कल आज बनाने में
जिंदगी भागदौड़ सी हो गई है
देखी है सब जगह जमाने में
खुश नहीं है कोई जिंदगी में
लगे है भरोसा दिलाने में
कोई खुद गलत जा रहा
तो कोई लगा है उसे गिराने में
बीत गया जमाना कितना
देर नही है कल आने में
आज खुश रहना सिख लो
वक़्त ना लगता कब्र तक जाने में
आये कितने, कितने चले गए
तुम लगे हो क्या बनाने में
टूटेगा घर एक दिन तेरा भी
बस देर है तूफा के आने में
-Pradeep Kumar
©pradeep kumar2313