तुम मुझे मिलोगी जब ये बनारस की घाट पर उस दिन मां ग | हिंदी कविता

"तुम मुझे मिलोगी जब ये बनारस की घाट पर उस दिन मां गंगा की शांत लहरों में समंदर सा उफ़ान आयेगा ! तुम्हारे नेत्रों में दिखेंगे जब गंगा में चमकते दिए ! उस दिन उन लहरों को अभिमान होगा तुम्हारे नेत्रों में चमकने का ! उस दिन संभवतः मेरा हृदय तुमपे पार पाएगा ! संभवतः कुछ ना भी दिख इस संसार में फिर भी तुम्हारी आस में ये हर धाम जाएगा ! तुम स्वीकार लो जो मेरा प्रेम तोविजयी है यह , अन्यथा, मेरा हृदय संसार से हार जाएगा । ©बेजुबान शायर shivkumar"

 तुम मुझे मिलोगी जब
ये बनारस की घाट पर
उस दिन मां गंगा की शांत लहरों में
समंदर सा उफ़ान आयेगा !

तुम्हारे नेत्रों में दिखेंगे जब 
गंगा में चमकते दिए !
उस दिन उन लहरों को अभिमान होगा
तुम्हारे नेत्रों में चमकने का !

उस दिन संभवतः मेरा हृदय 
तुमपे पार पाएगा !
संभवतः कुछ ना भी दिख इस संसार में
फिर भी तुम्हारी आस में ये हर धाम जाएगा ! 

तुम स्वीकार लो जो मेरा प्रेम तोविजयी है यह ,
अन्यथा, मेरा हृदय संसार से हार जाएगा ।

©बेजुबान शायर shivkumar

तुम मुझे मिलोगी जब ये बनारस की घाट पर उस दिन मां गंगा की शांत लहरों में समंदर सा उफ़ान आयेगा ! तुम्हारे नेत्रों में दिखेंगे जब गंगा में चमकते दिए ! उस दिन उन लहरों को अभिमान होगा तुम्हारे नेत्रों में चमकने का ! उस दिन संभवतः मेरा हृदय तुमपे पार पाएगा ! संभवतः कुछ ना भी दिख इस संसार में फिर भी तुम्हारी आस में ये हर धाम जाएगा ! तुम स्वीकार लो जो मेरा प्रेम तोविजयी है यह , अन्यथा, मेरा हृदय संसार से हार जाएगा । ©बेजुबान शायर shivkumar

तुम मुझे मिलोगी जब
ये #बनारस की #घाट पर
उस दिन मां #गंगा की शांत #लहरों में
समंदर सा उफ़ान आयेगा !

तुम्हारे #नेत्रों में दिखेंगे जब
गंगा में #चमकते दिए !
उस दिन उन लहरों को #अभिमान होगा

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