वो अंधेरे ही भले जिनमें हमें तुम मिले जाती रही तक | हिंदी शायरी

"वो अंधेरे ही भले जिनमें हमें तुम मिले जाती रही तकलीफ जड़ से मिट गए शिकवे गिले मुश्किलो ने उधेड़ दिए छिलको से नकाब सारे हल्की हवाओं में ही उड़ गए सूखे हुए पत्ते बिचारे बबली भाटी बैसला ©Babli BhatiBaisla"

 वो अंधेरे ही भले जिनमें हमें तुम मिले 
जाती रही तकलीफ जड़ से मिट गए शिकवे गिले 













मुश्किलो ने उधेड़ दिए छिलको से नकाब सारे 
हल्की हवाओं में ही उड़ गए सूखे हुए पत्ते बिचारे
बबली भाटी बैसला

©Babli BhatiBaisla

वो अंधेरे ही भले जिनमें हमें तुम मिले जाती रही तकलीफ जड़ से मिट गए शिकवे गिले मुश्किलो ने उधेड़ दिए छिलको से नकाब सारे हल्की हवाओं में ही उड़ गए सूखे हुए पत्ते बिचारे बबली भाटी बैसला ©Babli BhatiBaisla

पत्ते Dr. uvsays @R... Ojha @vineetapanchal @Ashutosh Mishra @Lalit Saxena @Bhardwaj Only Budana

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