ख़ुशनुमा मौसम भी बेईमान लगता है ! महबूब से दूर रहन

"ख़ुशनुमा मौसम भी बेईमान लगता है ! महबूब से दूर रहना बहुत खटकता है !! बेचैन ए दिल के ज़ज्बात बयां करूँ कैसे! हर हिज्र की रात मुझे तड़पना पड़ता है!!  (हिज्र - जुदाई की रात) बस बेबस हो जाता हूँ तेरी याद में ! दर्द ए इश्क का प्याला मुझे  गटकना पड़ता है !! ख़्यालों की दुनियां में अक़्स तेरा देखता हूं! कू-ए-दोस्त में मुझे भटकना पड़ता है!!   (कू-ए-दोस्त - महबूब की गली) ये जो ज़ाम ज़ाम छलका रहा हूं ये शौक नहीं है मेरा ! बेचैन -ए -मन की दवाई का  सहारा लेना पड़ता है !!"

 ख़ुशनुमा मौसम भी बेईमान लगता है !
महबूब से दूर रहना बहुत खटकता है !! 

बेचैन ए दिल के ज़ज्बात बयां करूँ कैसे!
हर हिज्र की रात मुझे तड़पना पड़ता है!!  (हिज्र - जुदाई की रात) 

बस बेबस हो जाता हूँ तेरी याद में !
दर्द ए इश्क का प्याला मुझे  गटकना पड़ता है !! 

ख़्यालों की दुनियां में अक़्स तेरा देखता हूं!
कू-ए-दोस्त में मुझे भटकना पड़ता है!!   (कू-ए-दोस्त - महबूब की गली) 

ये जो ज़ाम ज़ाम छलका रहा हूं ये शौक नहीं है मेरा !
बेचैन -ए -मन की दवाई का  सहारा लेना पड़ता है !!

ख़ुशनुमा मौसम भी बेईमान लगता है ! महबूब से दूर रहना बहुत खटकता है !! बेचैन ए दिल के ज़ज्बात बयां करूँ कैसे! हर हिज्र की रात मुझे तड़पना पड़ता है!!  (हिज्र - जुदाई की रात) बस बेबस हो जाता हूँ तेरी याद में ! दर्द ए इश्क का प्याला मुझे  गटकना पड़ता है !! ख़्यालों की दुनियां में अक़्स तेरा देखता हूं! कू-ए-दोस्त में मुझे भटकना पड़ता है!!   (कू-ए-दोस्त - महबूब की गली) ये जो ज़ाम ज़ाम छलका रहा हूं ये शौक नहीं है मेरा ! बेचैन -ए -मन की दवाई का  सहारा लेना पड़ता है !!

हिज्र की रात

#Drops

People who shared love close

More like this

Trending Topic