ज़िंदगी की राहों में जब सर्द हवाएँ तंग करती हैं,
कई सितारे हों पास, फिर भी चाँद को अकेले ही चमकना पड़ता है।
हर दर्द को छुपा कर मुस्कुराना पड़ता है,
कभी किसी के लिए, कभी खुद के लिए रोना पड़ता है।
अंधेरों में खो जाने का डर हर कदम साथ होता है,
फिर भी अपनी रौशनी से, खुद को ही ढूँढ़ना पड़ता है।
ये वो सफ़र है जहाँ खुद से ही लड़ना पड़ता है,
हर एक खुशी के पीछे, एक ग़म को भी सहना पड़ता है।
©नवनीत ठाकुर
#जिन्दगी