White लिखूं तो क्या लिखूं उस मां-बाप के लिए कदम-क | हिंदी Poetry

"White लिखूं तो क्या लिखूं उस मां-बाप के लिए कदम-कदम पर संभल के चलना मां ने सिखाए हैं और कदम-कदम पर डगमगाके गिरना नहीं बाप ने सिखाए हैं कलम पकड़ना मां ने सिखाए हैं और कलम से सीधी लाइने चलाना बाप ने सिखाए हैं खुशियों के साथ जिंदगी में आगे बढना मां ने सिखाए हैं और दुःख में भी मुस्कुराना बाप ने सिखाए हैं फिर भी यह कलम इस पन्ने में रुक जाता है क्योकि शब्द नहीं है उस मां-बाप को वयां करने के लिए ।। ©dil_ki.dhun"

 White लिखूं तो क्या लिखूं
उस मां-बाप के लिए 
कदम-कदम पर संभल के चलना मां ने सिखाए हैं
और कदम-कदम पर डगमगाके गिरना नहीं बाप ने सिखाए हैं
कलम पकड़ना मां ने सिखाए हैं
और कलम से सीधी लाइने चलाना बाप ने सिखाए हैं
खुशियों के साथ जिंदगी में आगे बढना मां ने सिखाए हैं
और दुःख में भी मुस्कुराना बाप ने सिखाए हैं
फिर भी यह कलम इस पन्ने में रुक जाता है
क्योकि शब्द नहीं है
उस मां-बाप को वयां करने के लिए ।।

©dil_ki.dhun

White लिखूं तो क्या लिखूं उस मां-बाप के लिए कदम-कदम पर संभल के चलना मां ने सिखाए हैं और कदम-कदम पर डगमगाके गिरना नहीं बाप ने सिखाए हैं कलम पकड़ना मां ने सिखाए हैं और कलम से सीधी लाइने चलाना बाप ने सिखाए हैं खुशियों के साथ जिंदगी में आगे बढना मां ने सिखाए हैं और दुःख में भी मुस्कुराना बाप ने सिखाए हैं फिर भी यह कलम इस पन्ने में रुक जाता है क्योकि शब्द नहीं है उस मां-बाप को वयां करने के लिए ।। ©dil_ki.dhun

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