इश्क़ तो मेरा महफ़ूज हैं, तुझमें जिस्म अलग हैं, प | हिंदी शायरी

"इश्क़ तो मेरा महफ़ूज हैं, तुझमें जिस्म अलग हैं, पर रूह हैं, तुझमें बस तू हैं, तू हैं, और सिर्फ़ इक तू ही तो हैं, मुझमें...।। , ©prashant chaudhary"

 इश्क़ तो मेरा महफ़ूज हैं, तुझमें

जिस्म अलग हैं, पर रूह हैं, तुझमें

बस तू हैं, तू हैं, और सिर्फ़ इक तू ही तो हैं, मुझमें...।। 



















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©prashant chaudhary

इश्क़ तो मेरा महफ़ूज हैं, तुझमें जिस्म अलग हैं, पर रूह हैं, तुझमें बस तू हैं, तू हैं, और सिर्फ़ इक तू ही तो हैं, मुझमें...।। , ©prashant chaudhary

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