हर आन बान तुझसे ही है, तू ही कुल की मर्यादा है,
सीता, शबरी, अनुसूया तू, तू प्रेम प्रतीका राधा है।
चल अचल, मुनि, गंधर्व, देव, यशगान करें सब तेरा ही..
जीवन तुझसे, श्रृष्टि है तू, तुझ बिन ईश्वर भी आधा है।।
©Mahesh Verma
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