कुछ यूं मेरे हर जनम का आगाज़ हो, बनारस में ही हो प | हिंदी Shayari

"कुछ यूं मेरे हर जनम का आगाज़ हो, बनारस में ही हो पहली सुबह मेरी , और बनारस में ही आखिरी शाम हो ।"

 कुछ यूं मेरे हर जनम का आगाज़ हो,
बनारस में ही हो पहली सुबह मेरी ,
और बनारस में ही आखिरी शाम हो ।

कुछ यूं मेरे हर जनम का आगाज़ हो, बनारस में ही हो पहली सुबह मेरी , और बनारस में ही आखिरी शाम हो ।

इश्क़- ए- बनारस ❣️
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