था जब वो जान पहचान का तब वो अपना सा लगता था अपना

"था जब वो जान पहचान का तब वो अपना सा लगता था अपना कर मुझे ना जाने क्यों वो अजनबी बन गया राह देख कर थक गई सुबह से शाम शाम से सुबह हो गई ©muskan singh chauhan"

 था जब वो जान पहचान का 
तब वो अपना सा लगता था

अपना कर मुझे ना जाने 
क्यों वो अजनबी बन गया 
राह देख कर थक गई सुबह से शाम 
शाम से सुबह हो गई

©muskan singh chauhan

था जब वो जान पहचान का तब वो अपना सा लगता था अपना कर मुझे ना जाने क्यों वो अजनबी बन गया राह देख कर थक गई सुबह से शाम शाम से सुबह हो गई ©muskan singh chauhan

uski rah dekhte h aaj bhi
#thought

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