श्रद्धांजलि
चंदन गुप्ता ~राजन
"मैं रक्स-ए-बिस्मिल में शामिल एक बाशिंदा था
आज़ाद मुल्ख का एक #धर्मनिरपेक्ष परिंदा था
वतन के जश्न में सोचा, सबको शामिल कर लूं
गुनाह बस इतना था, दिल में #हिंदुस्तान और हाथ में तिरंगा था।"
"मुझे क्या मालूम था , कि शांति के वो तथाकथित दूत
मेरे प्यारे तिरंगे से ड़र जायेंगे,
मैं #वंदे_मातरम गा दूँ, तो उनके कान के पर्दे फट जायेंगे
देख न पाए वो मुझे कि एक #देशभक्त ज़िंदा था