तेरा मेरा मिलना एक हसीन इत्तफाक था
ये कायनात की साज़िश थी, या जिन्दगी का फलसफा था
बातों का सिलसिला फिर ऐसा शूरू हुआ
एक अजनबी ने बिना छूऐ मेरे दिल को हल्के से छूआ
हम साथ-साथ चलते हुए पहले दोस्त बने
फिर ना जाने कब जिन्दगी के हमसफ़र बन गए
कभी सोचा ना था कि हम फिर अजनबी बन जाएंगे
और अपने दिल का हाल शायरी में सबको सुनायेंगे
#Heart