"तुम अंजान रास्तों को ढूंढते लगे हो
क्या तुम अपने घर से तंग आ गये हो
तुम अक्सर अकेले रहना पसंद करते हो
क्या तुम भरी महफिलों से ठुकराये गये हो
तुम दिन भर खुद से गुफ़्तुगू करते रहते हो
क्या तुम दोस्तों से भी बहुत दूर हो गये हो
तुम हर छोटी छोटी बातों में रोने लगते हो
क्या तुम अपने दिल के दर्द से टूट गये हो
तुम दर्द और तकलीफ के काफी करीब हो
क्या तुम इसे उम्र भर का रिश्ता जोड़ गये हो
©Author Shahista Agwan
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