कहानी तो सबकी ही होती है, फ़र्क तो बस अंदाज़-ए-बया

"कहानी तो सबकी ही होती है, फ़र्क तो बस अंदाज़-ए-बयां का है, साइकिल चलाना सीखने के लिए ना जाने कितने बार गिरे हैं ये तो फ़िर भी ज़िंदगी है, जब तक हार शामिल ना हो, सीखने का मतलब ही कहां है। -induprabha"

 कहानी तो सबकी ही होती है,
फ़र्क तो बस अंदाज़-ए-बयां का है,
साइकिल चलाना सीखने के लिए
ना जाने कितने बार गिरे हैं
ये तो फ़िर भी ज़िंदगी है,
जब तक हार शामिल ना हो,
सीखने का मतलब ही कहां है।

                                     -induprabha

कहानी तो सबकी ही होती है, फ़र्क तो बस अंदाज़-ए-बयां का है, साइकिल चलाना सीखने के लिए ना जाने कितने बार गिरे हैं ये तो फ़िर भी ज़िंदगी है, जब तक हार शामिल ना हो, सीखने का मतलब ही कहां है। -induprabha

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