सदा सेवा करने को तैयार रहो। शुद्ध प्रेम, दया और नम
"सदा सेवा करने को तैयार रहो। शुद्ध प्रेम, दया और नम्रता सहित सेवा करो। सेवा करते समय कभी मन में भी खीझने या कुढ़ने का भाव मत आने दो।
पं श्रीराम शर्मा आचार्य"
सदा सेवा करने को तैयार रहो। शुद्ध प्रेम, दया और नम्रता सहित सेवा करो। सेवा करते समय कभी मन में भी खीझने या कुढ़ने का भाव मत आने दो।
पं श्रीराम शर्मा आचार्य