White नदी की हर बूंद के हिस्से में समुद्र नहीं आता
कुछ बूंदे उझलकर पत्तो पर चली जाती है ,
कुछ किनारों से बाहर उछल जाती है ,कुछ
बूंदे बुझा देती प्यास को ,ओर कुछ बूंदे
पेड़ो को सीचा करती है ,पूरी नदी तो एक
होती है किन्तु उसकी बूंदे अपने रास्ता
स्वयं चुनती है,बाकी बची नदी का एकमात्र
सपना सागर में मिलना होता है ओर वो
पत्थरों को चीरती हुई सागर से मिल ही
जाती है।अगर देखा जाए तो संसार भी
कुछ इसी तरह है.......
©Mrinal Malviya
#emotional_sad_shayari