मैं जितना मुस्कुरा रहा हूं,मैं उतना ही रूठ जाता हू | हिंदी Shayari

"मैं जितना मुस्कुरा रहा हूं,मैं उतना ही रूठ जाता हूं। जब लड़ाई हो खुद की खुद से ,मैं उस वक्त टूट जाता हूं। और यूं दूर से पूछोगे तो सब ठीक ही बताऊंगा, जो कभी थम लो हाथ मेरा तो कहूं कि जब भी मंजिल को देखता हूं ,दोस्ती की राह में बहुत पीछे छूट जाता हूं।। ©Manish chandra Bharti"

 मैं जितना मुस्कुरा रहा हूं,मैं उतना ही रूठ जाता हूं।
जब लड़ाई हो खुद की खुद से ,मैं उस वक्त टूट जाता हूं।
और यूं दूर से पूछोगे तो सब ठीक ही बताऊंगा,
जो कभी थम लो हाथ मेरा तो कहूं कि जब भी मंजिल को देखता हूं ,दोस्ती की राह में बहुत पीछे छूट जाता हूं।।

©Manish chandra Bharti

मैं जितना मुस्कुरा रहा हूं,मैं उतना ही रूठ जाता हूं। जब लड़ाई हो खुद की खुद से ,मैं उस वक्त टूट जाता हूं। और यूं दूर से पूछोगे तो सब ठीक ही बताऊंगा, जो कभी थम लो हाथ मेरा तो कहूं कि जब भी मंजिल को देखता हूं ,दोस्ती की राह में बहुत पीछे छूट जाता हूं।। ©Manish chandra Bharti

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