चंदनिया ने रौशन कर दी
आँखों में तस्वीर हमारी
जुगनूओ से हम भी बिखरे
इक जैसी तक़दीर हमारी !
बची रही बस याद तुम्हारी मन-मरुथल में ब्यार - सरीखी!
जिसकी आमद काट रही है नींदों को तलवार-सरीखी!
लिखकर नाम हमारा
तुमने सौ बार मिटाया
और जब मिटा नहीं पाए तो
समरक्षा का तिलक लगाया
जाने कैसी बेचैनी यह जिसमें नाप दिया घर हमने
वो सब अदाएं जो तुमने हमसे, हमने तुमसे सीखी!
ढूंढती है अकुलाई आँखें तुमको बन्दनवार-सरीखी !
©Mr Dangi
#rakshabandhan