नसीब नहीं अपने हाथों से लिखा है हमने मुक़द्दर अपना | हिंदी शायरी

"नसीब नहीं अपने हाथों से लिखा है हमने मुक़द्दर अपना उन्होंने ने एक बार तोड़ था और हम हर रोज़ टुटते हैं। ©Avinash Kr. Jha (अवि)"

 नसीब नहीं अपने हाथों से लिखा है हमने मुक़द्दर अपना
उन्होंने ने एक बार तोड़ था और हम हर रोज़ टुटते हैं।

©Avinash Kr. Jha (अवि)

नसीब नहीं अपने हाथों से लिखा है हमने मुक़द्दर अपना उन्होंने ने एक बार तोड़ था और हम हर रोज़ टुटते हैं। ©Avinash Kr. Jha (अवि)

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