तेरे घर आना तो अब मुमकिन नहीं होगा रोज़गार के | हिंदी शायरी

"तेरे घर आना तो अब मुमकिन नहीं होगा रोज़गार के सिलसिले में तेरे शहर आते रहेंगे ©kulvinder"

 तेरे  घर  आना  तो  अब  मुमकिन नहीं होगा
रोज़गार के सिलसिले में तेरे शहर आते रहेंगे

©kulvinder

तेरे घर आना तो अब मुमकिन नहीं होगा रोज़गार के सिलसिले में तेरे शहर आते रहेंगे ©kulvinder

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