मासूम सी आखों में सपनों को संवरते देखा है। वक्त के | हिंदी कविता

"मासूम सी आखों में सपनों को संवरते देखा है। वक्त के साथ उनको बिखरते देखा है।। ©Rakesh Kumar Himanshu"

 मासूम सी आखों में सपनों को संवरते देखा है।
वक्त के साथ उनको बिखरते देखा है।।

©Rakesh Kumar Himanshu

मासूम सी आखों में सपनों को संवरते देखा है। वक्त के साथ उनको बिखरते देखा है।। ©Rakesh Kumar Himanshu

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