हाय हाय मोदी ,
आज खामोशियां बता रही है बात उसकी ।।
क्यूं बेच दिया चंद पैसो के लिए ईमान अपना ।।
लाशों का कहर रोज उमड़ रहा मेरे वतन में ।।
और वो कहते है अभी बीमारी का इलाज नहीं हैं।।
क्यूं दिखाए थे सपने हमें नए हिंदुस्तान के मोदी ।
हालात ये है कि आज पुराना भी गुमनाम कहीं है ?
रोज खोद रहा मिट्टी को हर शक्स मेरे वतन का।।
क्यूं आज एक ओर नया शमशान कब्रिस्तान नहीं है ?
पहले हर गली रोशन, इठलाती खिलखिलाती थी मेरे गांव की ,
क्या आज वहा कोई इंसान ,कोई जान नहीं है ?
किसी ने मा ,बाप और भाई ,बहन , खो दिए बीमारी में ।
क्यूं भाई मोदी ये तेरा भारत हिंदुस्तान नहीं है ?
-- रुद्र भिलाला
©Lokesh Bhilala
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